28 जुलाई 2015

हिन्दुस्तान के 11वें राष्ट्रपति डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम को श्रद्धांजलि

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक ऐसे शख्स थे जिसने हिन्दुस्तान के हर उम्र के लोगो के दिलों में जगह बनाई। आज वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन एक चमकते सितारे की भाँति उनका व्यक्तित्व हमेशा हमारा मार्गदर्शक रहेगा। 
कलाम जी  ने 2002 में 11वां राष्ट्रपति पद ग्रहण किया। वे पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो वैज्ञानिक पृष्ठभूमि से राजनीति में आये थे।
"मिसाइल मैन" के नाम से प्रख्यात कलाम जी का बच्चों के प्रति खास लगाव था। वे जिस भी शहर में जाते वहां के स्कूलों में बच्चे उनका इंतज़ार करते। 2011 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर का दौरा किया। इस दौरान वह  सेंट जोसेफ स्कूल गोरखनाथ भी गए जहां अन्य स्कूलों से भी आये हजारों बच्चे मिलने को आतुर उनका इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा,"इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि मैं कौन हूँ ,मुझे सिर्फ जीतना है ,जीत और सिर्फ जीत ही मेरा मकसद है। "सफलता के लिए चार बातें आवश्यक है -जिंदगी में एक उद्देश्य लेकर चलो ,शिक्षा  के महत्त्व को  समझो और प्रकाशित करो तथा कड़ी मेहनत और दृण निश्चय करो। उन्होंने कहा ,शिक्षा से हमारे अंदर रचनात्मकता आती है जिससे सोच विकसित होती है और सोच हमें उड़ने के लिए नयी दिशा दिखाती है। उन्होंने शिक्षकों को भी सम्बोधित करते हुए कहा ,एक टीचर का जीवन सादा और सच्चा  होना चाहिए। 

अब्दुल कलाम जी के विचार________

   "राष्ट्र का सबसे अच्छा दिमाग कक्षा के आखिरी बेंच पर पाया जा सकता है"।

  "जब किसी के हस्ताक्षर उसके ऑटोग्राफ में बदल जाए ,तो यह उसके सफलता की निशानी है। "

  "सफलता की कहानियाँ सिर्फ  संदेश देती  हैं जबकि असफलता के किस्से गलतियों से सावधान करते हैं। "


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें