शारदीय नवरात्र
शरद ऋतु का आगमन शारदीय नवरात्र के शुभारम्भ का शुभ संकेत है। नवरात्र के प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के
विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है और प्रत्येक स्वरुप का पूजन भिन्न-भिन्न मंत्रोच्चारण द्वारा किया
जाता है।
माँ दुर्गा के समस्त स्वरूप व मंत्र -----
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माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप :
शैलपुत्री - जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री , भगवान शंकर की पत्नी तथा प्रथम प्रथम पूजनीय भगवान गणेश व कार्तिकेय की माता थी
मंत्रोचारण-
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ll
माँ दुर्गा का द्वितीय स्वरूप :
ब्रह्मचारिणी - जो दुनिया के लिए पवित्र प्रेम का सन्देश देती हैं।
मंत्रोच्चारण-
द्च्चना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमाll
माँ दुर्गा का तृतीया स्वरूप :
चंद्रघंटा - जो न्याय की स्थापना करती हैं।
मंत्रोच्चारण-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुताll
माँ दुर्गा का चतुर्थ स्वरूप :
कुष्मांडा- जो संपूर्ण संसार की आवश्यक आवश्यकताओं का ध्यान रखती हैं।
मंत्रोच्चारण-
सुरासम्पूर्णकलशं रुच्चिराप्लुत्मेव च।
द्च्चना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे ll
माँ दुर्गा का पंचम स्वरूप :
स्कंदमाता - जो संसारवासियों को सही- गलत का फर्क समझने की
क्षमता उत्पन्न करती हैं ।
मंत्रोच्चारण-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
माँ दुर्गा का षष्ठम स्वरूप :
कात्यायनी - जो बुराई का अंत करने को तत्पर रहती है।
मंत्रोच्चारण-
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभ दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
माँ दुर्गा का सप्तम स्वरूप :
कालरात्रि - जो रक्तबीज जैसे राक्षसों का नाश करती है।
मंत्रोच्चारण-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
माँ दुर्गा का अष्ठम स्वरुप :
महागौरी - जो उज्जवलस्वरूपा व पापनाशिनी हैं।
मंत्रोच्चारण-
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
माँ दुर्गा का नवम स्वरूप :
सिद्धिदात्री - जो सम्पूर्ण शक्तिदात्री हैं।
मंत्रोच्चारण-
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
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