2 जनवरी 2015

संघर्षशील नारी

                                                                   
            


नारी का जीवन नहीं आसान है

संघर्ष नारी का दूसरा नाम है;


सूरज रोज उदय होता है

अंधियारे संग रोज ढलता है;


पर नारी के संघर्ष  का

ना आदि होता ना अंत है;


सतयुग हो या कलियुग हो

संघर्षरत रही हर युग की नारी;


बुलंदियों को छू रही हैं आज नारियाँ

बनकर देश का गौरव;


अस्मत पर लेकिन उनकी  
  
नजर डाले बैठे हैं आज भी कौरव;


 जनक नंदिनी हो या पांचाली

दोनों के संघर्ष की है एक कहानी;

 
कभी देती अग्नि परीक्षा

कभी भरी सभा में होती अपमानित;


सदियाँ बीत गई पर

आज भी संघर्षरत है नारी;


हर तरफ उठती उन पर उंगलियाँ

नज़रों से भेदती अनगिनत पुतलियाँ; 


मुश्किलें उनकी अनगिनत होतीं

फिर भी हौसले में ना कमी होती;


बछेंद्री पाल हो या मैरी कॉम

ना रही किसी की राह आसान;


लेकिन हर पर्वत को पार किया

अपनी मंजिल पर अधिकार किया ;


ये सब तो है जानी-पहचानी

पर कितनी है अब भी अन्जानी;


जिनका अनाम जीवन है

अनेक संघर्षों की कहानी;


सफ़र इनका चाहे मीलों दूर हो
पथ में बिखरे अनेक शूल हों;

पार कर वो हर बाधाओं को
दिखाती अपनी क्षमताओं को;

बढ़ती अपने साहिल की ओर
धाराओं को देती वे अनुकूल मोड़;

नारी ऐसी ही होती है
क्योंकि वे संघर्षशील होती हैं .

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