नारी का जीवन नहीं आसान है
संघर्ष नारी का दूसरा नाम
है;
सूरज रोज उदय होता है
अंधियारे संग रोज ढलता है;
पर नारी के संघर्ष का
ना आदि होता ना अंत है;
सतयुग हो या कलियुग हो
संघर्षरत रही हर युग की
नारी;
बुलंदियों को छू रही हैं आज
नारियाँ
बनकर देश का गौरव;
अस्मत पर लेकिन उनकी
नजर डाले बैठे हैं आज भी कौरव;
जनक नंदिनी हो या पांचाली
दोनों के संघर्ष की
है एक कहानी;
कभी देती अग्नि परीक्षा
कभी भरी सभा में होती
अपमानित;
सदियाँ बीत गई पर
आज भी संघर्षरत है नारी;
हर तरफ उठती उन पर उंगलियाँ
मुश्किलें उनकी अनगिनत
होतीं
फिर भी हौसले में ना कमी होती;
बछेंद्री पाल हो या मैरी कॉम
ना
रही किसी की राह आसान;
लेकिन
हर पर्वत को पार किया
अपनी
मंजिल पर अधिकार किया ;
ये
सब तो है जानी-पहचानी
पर
कितनी है अब भी अन्जानी;
जिनका
अनाम जीवन है
अनेक
संघर्षों की कहानी;
सफ़र
इनका चाहे मीलों दूर हो
पथ
में बिखरे अनेक शूल हों;
पार
कर वो हर बाधाओं को
दिखाती
अपनी क्षमताओं को;
बढ़ती
अपने साहिल की ओर
धाराओं
को देती वे अनुकूल मोड़;
नारी ऐसी ही होती है
क्योंकि
वे संघर्षशील होती हैं .
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