30 सितंबर 2014

नारी शक्ति पर्व ‘नवरात्र’: वेदना श्रद्धेय होने की

                        

"हम श्रद्धा के पात्र हैं क्योंकि हम बेटियाँ हैं "

बेटियाँ घर की लाज होती हैं , 

बेटियाँ सर का ताज होती हैं ,
पर लुटी जाती हैं बेटियाँ ,

 झुकाई जाती हैं बेटियाँ ,
पांव पूजे जाते हैं बेटियों के , 

चुनर ओढाई जाती है बेटियों को ,
पर बेड़ियों में बाँधी जाती हैं बेटियाँ , बेआबरू की जाती हैं बेटियाँ ,

घर संभालती हैं बेटियाँ , 

ममतामयी होती हैं बेटियाँ ,
पर अबला कही जाती हैं बेटियाँ , 

बेटों से कम प्यार पाती हैं बेटियाँ,
अन्नपूर्णा का रूप हैं बेटियाँ ,

त्याग का स्वरूप हैं बेटियाँ ,
पर भोग्या बन जातीं हैं बेटियाँ , 

कुलक्षिणी कहलातीं हैं बेटियाँ ,
बेटियों से रौशन गुलजार है , 

बेटियों से दुनिया आबाद है ,
पर अंधेरों में गुम हो जाती हैं बेटियाँ , बरबाद की जाती हैं बेटियाँ ,

घर की लक्ष्मी होती है बेटियाँ ,

पापनाशिनी दुर्गा का रूप होती हैं बेटियाँ,
पर बेचीं जाती हैं बेटियाँ , 

नाश की जाती हैं बेटियाँ ,
सभी रिश्ते निभाती हैं बेटियाँ ,

 माँ-बहन, पत्नी-बेटी हर रूप में जीतीं हैं बेटियाँ ,
पर रिश्तों में छली जातीं हैं बेटियाँ,

वहशियों को वासना का रूप नजर आती हैं बेटियाँ ,

      ll ये वेदना है हमारे श्रद्धेय होने की ll


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