"हम श्रद्धा के पात्र हैं क्योंकि हम बेटियाँ हैं "
बेटियाँ घर की लाज होती हैं ,
बेटियाँ सर का ताज होती हैं ,
पर लुटी जाती हैं बेटियाँ ,
झुकाई जाती हैं बेटियाँ ,
पांव पूजे जाते हैं बेटियों के ,
चुनर ओढाई जाती है बेटियों को ,
पर बेड़ियों में बाँधी जाती हैं बेटियाँ , बेआबरू की जाती हैं बेटियाँ ,
घर संभालती हैं बेटियाँ ,
ममतामयी होती हैं बेटियाँ ,
पर अबला कही जाती हैं बेटियाँ ,
बेटों से कम प्यार पाती हैं बेटियाँ,
अन्नपूर्णा का रूप हैं बेटियाँ ,
त्याग का स्वरूप हैं बेटियाँ ,
पर भोग्या बन जातीं हैं बेटियाँ ,
कुलक्षिणी कहलातीं हैं बेटियाँ ,
बेटियों से रौशन गुलजार है ,
बेटियों से दुनिया आबाद है ,
पर अंधेरों में गुम हो जाती हैं बेटियाँ , बरबाद की जाती हैं बेटियाँ ,
घर की लक्ष्मी होती है बेटियाँ ,
पापनाशिनी दुर्गा का रूप होती हैं बेटियाँ,
पर बेचीं जाती हैं बेटियाँ ,
नाश की जाती हैं बेटियाँ ,
सभी रिश्ते निभाती हैं बेटियाँ ,
माँ-बहन, पत्नी-बेटी हर रूप में जीतीं हैं बेटियाँ ,
पर रिश्तों में छली जातीं हैं बेटियाँ,
वहशियों को वासना का रूप नजर आती हैं बेटियाँ ,
ll ये वेदना है हमारे श्रद्धेय होने की ll
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