2 अक्टूबर 2014

दशहरा ( दस सर वाले रावण का हनन + दुर्गा का विसर्जन )




नवरात्र में दशमी तिथि को दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है l इस दिन श्री रामचन्द्र जी ने दस सर वाले रावण को हरा कर विजय प्राप्त की थी , इसलिए इस दिन को दशहरा या विजयादशमी कहा जाता है l इसी दिन नवरात्री पूजा का समापन करके दुर्गा जी की मूर्ति का भी विसर्जन किया जाता है l इसके पश्चात दशहरा पर्व समाप्त हो जाता है l यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है l

हम अपनी परम्परा का निर्वाह करने के लिए त्यौहार जरुर मना रहें हैं पर क्या वास्तव में इसका कोई औचित्य है ? प्रत्येक वर्ष पूरे देश में दशहरा के पर्व पर न जाने कितने दस सर वाले रावण जलाए जाते हैं जो कि बुराई का प्रतीक है किन्तु समाज में प्रतिदिन अनेकों सर वाले रावण जन्म ले रहें है और वे सिर्फ सीता का अपहरण नहीं कर रहें बल्कि उसे बुरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से लहूलुहान भी कर दे रहें हैं l वहीं दूसरी तरफ दुर्गा विसर्जन के पश्चात भी रोज अनेकों दुर्गाएं विसर्जित हो रहीं हैं लेकिन इनका विसर्जन नौ दिन कि पूजा के पश्चात हर्षोल्लास से नहीं होता बल्कि रोते-सिसकते होता है l

अब न कोई राम हैं जो दशानन का हनन करें और न कोई चामुंडा हैं जो राक्षसों का वध करें , आज के परिवेश में प्रत्येक सीता को स्वयं ही रावण का सामना करना होगा तभी सही मायने में विजयादशमी का औचित्य होगा और हर नारी को राक्षस से सामना होने पर चामुंडा का रूप धारण करना होगा ,जिससे कि दुर्गा विसर्जन सिर्फ पर्व के दिन ही हो .

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