18 मई 2015

एहसास


                                                                     

"आगोश में उनके
सुकून मिलता है मुझको
जैसे जाड़े के धूप की तपिश

मचलता है मन जब अक्स उनका
नजर आता है मुझको
जैसे खेतों में पीली सरसों का लहलहाना

नाराजगी उनकी बेचैन
कर देती है मुझको
जैसे उमस भरी गर्मी की दुपहरिया

दूर होने पर तन्हाई
महसूस होती है मुझको
जैसे बादल को छोड़ गिरती बारिश की बूंदे

बिछड़ने का उनसे
डर लगता है मुझको
जैसे पतझड़ में पेड़ों से झड़ते पत्ते 

एहसास उनका हमसाथ है मेरे 
जैसे हर पल संग चले 
हमसाया सी मेरी परछाईं "

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