- थे तो हम हमेशा से अकेले ही
- पर जिन्दगी के मोड़ पर कोई मिला
- नाते -रिश्ते ,समाज ने उसको मुझसे जोड़ा
- बंधन में बंधे जिससे, उस पर विश्वास किया
- विश्वास ने जीवन से हर डर को दूर किया
- पर एक बार नहीं कई बार विश्वास चकनाचूर हुआ
- हर बार उसको समेटा, दिल को मजबूत किया
- बहते आंसुओं में डर के एहसास को भिगोया
- खुद को झूठा दिलासा देकर ,फिर से विश्वास का दिया जलाया
- साथ कोई नहीं के एहसास के अँधेरे को दूर करने की
- फिर एक नाकाम कोशिश की ,पर हकीकत तो यही था
- थे तो हम हमेशा से अकेले ही

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